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Home»Collage Study»विपणन अंकेक्षण के संघटक
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विपणन अंकेक्षण के संघटक

adminBy adminJune 9, 2025Updated:June 13, 2025No Comments3 Mins Read
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विपणन अंकेक्षण के संघटक
विपणन अंकेक्षण के संघटक
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फिलिप कोटलर द्वारा दी गयी विपणन अंकेक्षण की उपरोक्त परिभाषा से विपणन अंकेक्षण के चार तत्व दृष्टिगोचर होते है:

  1. उद्देश्य (Objectives) :- प्रत्येक क्रिया का कुछ न कुछ उद्देश्य अवश्य होता है। विपणन क्रियाओं का भी कोई न कोई उद्देश्य होता हैं। अतः प्रबन्ध अंकेक्षक को सर्वप्रथम क्रियाओं को उद्देश्यों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। प्रायः कम्पनियाँ प्रबन्ध अंकेक्षक को विपणन क्रियाओं का एक सामान्य उद्देश्य विक्रय में वृद्धि करना बताती हैं जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता है कम्पनी के पृथक् पृथक् अधिकारी विपणन क्रियाओं के पृथक् पृथक् उद्देश्य बता सकते हैं। प्रबन्ध अंकेक्षक को इन विरोधाभासपूर्ण तथ्यों को कम्पनी प्रबन्ध के सम्मुख रख कर विपणन क्रियाओं के वास्तविक उद्देश्य की जानकारी करने का प्रयास करना चाहिए। उद्देश्यों की सही जानकारी होने से अंकेक्षण सरल हो जाता है।
  2. कार्यक्रम (Programme):- उद्देश्यों की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् अंकेक्षक यह देखेगा कि इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपलब्ध साधनों का कहीं व किस ढंग से हो रहा है। प्रबन्ध अंकेक्षक अंकेक्षण कार्यक्रम की संरचना की जाँच कर यह देखेगा कि कार्यक्रम उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपयुक्त ढाँचा उपलब्ध करा सकेगा अथवा नहीं। प्रमुख रूप से प्रबन्ध अंकेक्षक तथ्य देखेगा :
    • विपणन प्रयासों की सफलता के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम बनाया गया है;
    • विपणन क्रियाओं पर आवश्यकतानुसार धन व्यय किया जा रहा है;
    • विपणन बजट का विभिन्न क्रियाओं में उचित रूप से बंटन किया गया है।
    • विपणन क्रियाओं में उचित संतुलन है व दोहराव जैसी समस्या नहीं है, आदि।
  3. क्रियान्वयन (Implementation):- विपणन कार्यक्रम की समीक्षा करने के पश्चात प्रबन्ध अंकेक्षण कार्यक्रम के क्रियान्वयन की समीक्षा करेगा। वह यह पता लगायेगा कि. कार्यक्रम का कुशल क्रियान्वयन हो रहा है अथवा नहीं। क्रियान्वयन के सम्बन्ध में प्रबन्ध अंकेक्षक निम्नलिखित बिन्दु की जाँच करेगा:
    • विक्रेताओं की नियुक्ति के मापदण्ड,
    • विज्ञापन के माध्यम व विज्ञापन संस्था,
    • माल ढोने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन,
    • माल के संग्रहण की स्थिति,
    • विक्रय की मात्रा व राशि का पूर्वानुमान;
    • मूल्य निर्धारण की तकनीक,
    • नकद व्यापारिक बहे आदि के नियम;
    • उधार विक्रय की शर्ते,
      • विक्रय प्रतिनिधियों की नियुक्ति व प्रशिक्षण;
      • ग्राहकों के आदेशों का पालन,
    • प्रतिस्पर्धी व्यापारियों की गतिविधियों की जानकारी,
    • नये-नये बाजारों की खोज, तथा
    • नवीन उत्पादों का विकास।

प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि विक्रय नीतियों के क्रियान्वयन हेतु सर्वोत्तम वैज्ञानिक रीतियों का प्रयोग किया गया है। इन रीतियों व नीतियों में समय के साथ-साथ परिवर्तन किये गये हैं तथा PERT व EDP जैसे नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया गया है।

  1. संगठन (Organization):- क्रियान्वयन की ही तरह प्रबन्ध अंकेक्षक विपणन संगठन की भी जाँच करेगा। विपणन संगठन की जाँच प्रबन्ध अंकेक्षक निम्न प्रकार करेगा:
    • वह देखेगा कि प्रत्येक विपणन क्रिया किसी उत्तरदायी व्यक्ति के अधीन है।
    • इन उत्तरदायी व्यक्तियों को आवश्यकतानुसार अधिकार भी दिये गये है,
    • कचारियों में दायित्वों का भली-भाँति विभाजन किया गया है।
    • अधिकारियों के अधिकारों में कहीं टकराव नहीं है,
    • विपणन अधिकारी व कर्मचारियों के सुझावों को समुचित महत्व प्राप्त है,
    • अधिकारी आपसी समन्वय व सूझबूझ की भावना से कार्य कर रहे हैं,
    • विपणन संगठन का ढाँचा संस्था की आवश्यकताओं के अनुरूप है,
    • संस्था के विपणन क्रियाओं के क्रियान्वयन हेतु पर्याप्त अधिकारी व कर्मचारी विद्यमान हैं,
      • क्या संगठन की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान कार्य चल रहे है,
      • क्या किसी भी विपणन क्रिया का पुनर्गठन होना है तो किस प्रकार होगा
    • विक्रय संगठन में लचीलेपन का गुण है या नहीं।

विपणन अंकेक्षण के संघटक : महत्वपूर्ण विषय हिंदी में पूरा पढ़ें |

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